पुलिस का राजनीतिकरण एक गंभीर समस्या

लिस विभाग एक ऐसा विभाग है जिस पर संपूर्ण देश की कानून व्यवस्था का भार होता है और यह विभाग किसी आम आदमी से लेकर विश्व के किसी भी वीआईपी तक को अपनी सीमा में रखता है यह विभाग संपूर्ण विश्व की बात ना करते हुए यदि हम केवल भारत की बात करें तो संभव है कि भारत में पलिस का नजरिया अलग-अलग होने के साथ अलग-अलग वर्दी पर भी अपनी छाप छोड़ता है संपूर्ण भारत में सिर्फ यही एक ऐसा विभाग है जिसमें कांस्टेबल रेंज के अधिकारी से लेकर सर्वोच्च अधिकारी तक परभारत का सबसे प्रतिष्ठित और आदरणीय अशोक चिन्ह मौजूद होता है और यही भारत की सबसे बड़ी पहचान मानी जाती है प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी इस चिन्ह का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है सबसे बड़े आश्चर्य की बात है कि भारत के सबसे बड़े अमीर आदमी मुकेश अंबानी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह अशोक चिन्ह का प्रयोग कर सकें फिर यह कैसे कहा जा सकता है की अशोक चिन्ह एक गौरवशाली परंपरा का प्रतीक पुलिस विभाग के सभी कांस्टेबल से लेकर अधिकारियों तक को इस गौरवशाली चिन्ह को सर पर रखने का अधिकार मिला हुआ है इसके बावजूद भी पुलिस विभाग की तासीर कम क्यों होती जा रही है आज राजस्थान की राजधानी जयपुर का हाल बेहाल होता जा रहा है जिस प्रकार से पुलिस का राजनीतिकरण होता जा रहा है वह राजस्थान राज्य के लिए चिंताजनक है रोज टूटती हुई चेन, हत्या, मोबाइल चोरी झपट्टा मारकर पर्स का छीनना और सबसे बड़ी बात साइबर क्राइम के अपराध इसका ग्राफ बढ़ता जा रहा है और साइबर क्राइम के अपराध भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं जिस पर वे इतने निरंकुश हो चुके हैं कि अब तो पुलिस अधिकारी अथवा राज्य के बड़े से बड़े अधिकारियों के सामने इस तरह की हरकत करते हुए साफ देखे जा रहे हैं और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही है चोरी का मामला हो या मोबाइल का या गाड़ी चोरी का सामान्य लगने लगे हैं। इन पर पकड़ने की तो अब जुर्रत कहीं नहीं रहीएटीएम से पैसा निकालने के सैकड़ों मामले बढ़ चुके हैं लेकिन उन्हें और उन पर अंकुश लगाना अब राजस्थान पुलिस के लिए संभव नहीं लगता है सबसे बड़ी बात तो यह की पुलिस का राजनीतिकरण होने से चोरी हो अथवा अन्य कोई मामले पुलिस के द्वारा पकड़ते ही राजनीतिकरण चालू हो जाता है और पार्टी का सदस्य होने के बहाने उसे छुड़वाने की कवायद शुरू हो जाती है इसके अलावा और भी ऐसे कई मामले रहे हैं जिस पर पुलिस की पकड़ अब लगातार कम होती जा रही है इसका कारण क्या है? पुलिस की तासीर, पुलिस का जलवा, क्या अब कम होता जा रहा है या फिर पुलिस में राष्ट्रीयता की भावना कम होने लगी है या फिर वह अपने अधिकारियों के सामने इस तरह की हरकत करते हुए साफ देखे जा रहे हैं और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही है चोरी का मामला हो या मोबाइल का या गाड़ी चोरी का सामान्य लगने लगे हैं। इन पर पकड़ने की तो अब जुर्रत कहीं नहीं रहीएटीएम से पैसा निकालने के सैकड़ों मामले बढ़ चुके हैं लेकिन उन्हें और उन पर अंकुश लगाना अब राजस्थान पुलिस के लिए संभव नहीं लगता है सबसे बड़ी बात तो यह की पुलिस का राजनीतिकरण होने से चोरी हो अथवा अन्य कोई मामले पुलिस के द्वारा पकड़ते ही राजनीतिकरण चालू हो जाता है और पार्टी का सदस्य होने के बहाने उसे छुड़वाने की कवायद शुरू हो जाती है इसके अलावा और भी ऐसे कई मामले रहे हैं जिस पर पुलिस की पकड़ अब लगातार कम होती जा रही है इसका कारण क्या है? पुलिस की तासीर, पुलिस का जलवा, क्या अब कम होता जा रहा है या फिर पुलिस में राष्ट्रीयता की भावना कम होने लगी है या फिर वह अपने अधिकारों के प्रति मजबूत क्यों नहीं होने लगी है इस समय हर इंसान जानता है कि उस पर होने वाले अत्याचार के लिए यदि मुझे कहीं से भी राहत मिल पाएगी तो वह होगा पुलिस विभाग, पलिस विभाग की तरफ जनता की आंखें हमेशा लगी रहती है और हमेशा जनता ने पुलिस को अपना मित्र समझ कर अपने दुख-सुख का इस समय हर इंसान जानता है कि उस पर होने वाले अत्याचार के लिए यदि मुझे कहीं से भी राहत मिल पाएगी तो वह होगा पुलिस विभाग, पलिस विभाग की तरफ जनता की आंखें हमेशा लगी रहती है और हमेशा जनता ने पुलिस को अपना मित्र समझ कर अपने दुख-सुख का साथी समझा है, परंतु पिछले कुछ दिनों से पुलिस का रुख जनता के प्रति बदल चुका है और वह अब किस प्रकार वापस जनता को अपनी और आकर्षित कर सकेगा इसके लिए पुलिस के आला अधिकारियों, पुलिस महानिदेशक ने कई बार कुछ अच्छे विचार व्यक्त किए, लेकिन पुलिस पर अब विचारों का सोच, जज्बातों का, भावनाओं का कोई असर नहीं पड़ रहा पुलिस के लिए अब ऐसा क्या नया प्लान तैयार किया जाए जिससे पुलिस का मनोबल दोबारा कायम हो सके, एक नजीर पेश हो सके और साथ ही पुलिस का वह जज्बा जिसमें अपराधियों में डर और आम जनता में विश्वास वाली बात फिर से पैदा हो सके, अभी तो ऐसा लगता है जैसे यह पुलिस का नारा उल्टा चल रहा है जिससे जनता पुलिस से डरी हुई है और अपराधियों में जश्न का माहौल है, आने वाले समय में पुलिस का रुख बदलना होगा जिससे संपूर्ण भारत में 'कानून व्यवस्था कायम करने के लिए केवल पुलिस विभाग ही एक ऐसा विभाग है जो प्रत्येक काम में सफल हो सकता है सेना बाहरी दुश्मनों से बचाने का काम करती है और पुलिस आंतरिक समस्याओं से निजात पाने का एकमात्र साधन माना जाता है इसका पुलिस राजनीतिकरण करना गलत होगा तथा इन्हें कुछ और विशेष अधिकार दिए जाने की बात होनी चाहिए