जयपुर। कृषि विभाग के 100 करोड़ के टेंडर का घमासान और घोटालों का तांडव जिस प्रकार विभाग के साथ राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है उससे यह महसस होता है के कुछ विशेष अधिकारी स्वयं को मंत्री का रिश्तेदार बताते हुए व्यापारियों पर जिस प्रकार से रोब गांठ रहे हैं उससे यह लग रहा है कि कृषि विभाग में कोई भी कार्य बिना पैदा हो गया था कि अधिकारियों दर्ज कराते हुए टेंडर ना करने के भ्रष्टाचार के संभव नहीं हो पा रहा की देखरेख में किस प्रकार टेंडर आदेश जारी भी किये, परंतु उसके और यही कारण रहा जिसकी वजह की शर्तों में परिवर्तन किया गया है बावजूद भी यह टेंडर प्रक्रिया की से किसानों की हालत बिगड़ती जा प्राप्त जानकारी के अनुसार जब अपनाई गई जो इस बात को रही है। क्वालिटी कंट्रोल के विभाग ने टेंडर लिस्ट में ब्लैक महसूस कराती है कि यहां भ्रष्टाचार अधिकारियों ने एसएसपी की जांच लिस्ट नहीं होने का शपथ पत्र मांगा और पैसे का बहुत लुभावना खेल करने जब कुछ फैक्ट्री में गए थे गया तो उसमें ऐसी 14 कंपनियां चल रहा है जिसमें अधिकारियों ने वहां हल्की क्वालिटी का माल भी शामिल थी जो पहले से ब्लैक अपने आप को मंत्रियों से भी बनते हुए देखने के बावजूद भी लिस्टेड थी वे किसी न किसी रूप ज्यादा मजबूत करते हुए आदेशों क्लीन चिट देना विभाग की ऐसी में ब्लैक लिस्ट रही, परंतु ब्लैक की पालना न करने का निश्चय कर कौन सी मजबूरी रही। लिस्ट होने के बावजूद भी टेंडर रखा है। अपनी-अपनी मर्जी से पेस्टिसाइड्स और उनके नाम से पास हो गया जो नियम को बनाना उसे मनमर्जी फ़र्टिलाइजर के कुछ टेंडर्स में कुछ अधिकारियों की निष्ठा पर तरीके से अंजाम देना एक साधारण विशेष लोगों को फायदा देने के प्रश्नचिन्ह लगाता है। सी बात लग रही है यह मामला लिए टेंडर की शर्तों में जिस प्रकार आला अधिकारियों ने इस ताजातरीन होने के कारण विभाग फेरबदल किया वह नाकाबिले था टेंडर की विवादास्पद जानकारियों में सबसे ज्यादा चर्चित रहा है और तथा यह एक सवालिया निशान भी के बावजूद उस पर अपना विरोध क षि विभाग का अद्भुत... काषावभागका अदभत.... आने वाले समय में इस पर गाज गिरना निश्चित है टेंडर में कुछ ऐसी शर्तों का जिक्र है जो पहले कभी नहीं की गई वह जो पहले कभी नहीं की गई वह शर्ते ऐसी रही जिसे सिर्फ एक ही कंपनी फॉलो कर सकती थी कृषि विभाग ने इस वर्ष भी कृषि निदेशालय में विभिन्न कृषि आदानों जैसी की रासायनिक या जैविक कीटनाशक सूक्ष्म पोषक तत्व आदि किसानों को अनुदान पर वह अन्य सरकारी योजनाओं में वितरित करने हेतु उक्त दोनों के मूल निर्माताओं की अभिरुचि व अभिव्यक्ति के माध्यम से ऑफर्स मांगी थे जो करीब 100 करोड़ की खरीद होने की संभावना थी। परंतु इस प्रकार के टेंडर्स की सब जगह आलोचना होने के बावजूद भी कृषि विभाग के निदेशक स्तर पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करना अपने आप में एक सवाल उठता है कि क्या कृषि विभाग इतना लाचार और बेबस है कि कुछ चंद अधिकारियों के बनाए हुए विवादास्पद नियमा क आधार पर भा बड़ आर आला आधकारा उस पर अपनी मोहर लगाकर इसे लागू करने देंगे। क्रमशः . या सरगना राजोरिया... क्रषि विभागका अदभुत... आने वाले समय में इस पर गाज गिरना निश्चित है टेंडर में कुछ ऐसी शर्तों का जिक्र है जो पहले कभी नहीं की गई वह जो पहले कभी नहीं की गई वह शर्ते ऐसी रही जिसे सिर्फ एक ही कंपनी फॉलो कर सकती थी कृषि विभाग ने इस वर्ष भी कृषि निदेशालय में विभिन्न कृषि आदानों जैसी की रासायनिक या जैविक कीटनाशक सूक्ष्म पोषक तत्व आदि किसानों को अनुदान पर वह अन्य सरकारी योजनाओं में वितरित करने हेतु उक्त दोनों के मूल निर्माताओं की अभिरुचि व अभिव्यक्ति के माध्यम से ऑफर्स मांगी थे जो करीब 100 करोड़ की खरीद होने की संभावना थी। परंतु इस प्रकार के टेंडर्स की सब जगह आलोचना होने के बावजूद भी कृषि विभाग के निदेशक स्तर पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करना अपने आप में एक सवाल उठता है कि क्या कृषि विभाग इतना लाचार और बेबस है कि कुछ चंद अधिकारियों के बनाए हुए विवादास्पद नियमा क आधार पर भा बड़ आर आला आधकारा उस पर अपनी मोहर लगाकर इसे लागू
कृषि विभाग का अद्भुत खेल